जप जप जप तेरा नाम जियूँ मैं
साहेब मेरा तू रखियो ख़्याल
तेरी शरण में आन पड़ा मैं
वाहेगुरु वाहेगुरु दीनदयाल
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु...
तेरे हाथ में दातेया अब
मैंने छोड़ी डोर
आंख मीच मैं चाल पड़ा
तू लेजाए जिस ओर
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
बनके बैठा मैं रहूंगा
तेरे चरण का दास
मन का ये अंधियार मिटाके
भर दो प्रभु प्रकाश
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
सारा दरेया पी गया पर
मन की बुझी ना प्यास
मैं मूर्ख समझ ना पाया
मुझे तेरे दरस की प्यास
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
जिसने तुझको पा लिया
ना वो मन हुआ भयभीत
मेरी तरफ आते गम तूनें
अपनी तरफ लिए खींच
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
चाँद तारे जगमग तुमसे
ये तेरे एक नाम का नूर
जिसने तेरा जाप किया हो
उससे अंधेरा कोसों दूर
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
वक़्त ने ऐसा खेल रचा है
छोड़ गए सब साथ
सुख दुख में जिसने थामे रखा
वो था तेरा हाथ
वाहेगुरु वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु