मैं जो मीरा बनूँ
प्रेम बन जाओ तुम
विष को अमृत बनाने चले आओ तुम...
मैं जो शबरी बनूँ
आस बन जाओ तुम
बेर खाने बड़े चाव से आओ तुम...
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे
——————
मैं जो अर्जुन बनूँ
ज्ञान बन जाओ तुम
सारथी बन मुझे राह दिखलाओ तुम...
मैं जो हनुमत बनूँ
लक्ष्य बन जाओ तुम
भाग्य मेरे जगाने चले आओ तुम...
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे
——————
मैं सुदामा बनूँ
मित्र बन जाओ तुम
टेर सुन कर मेरी दौड़ते आओ तुम
मैं अहिल्या बनूँ
मोक्ष बन जाओ तुम
चरनों से छूने मुझ को चले आओ तुम
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे
मैं जो साहिल बनूँ
नाव बन जाओ तुम
दूर मुझ से कभी भी न रह पाओ तुम