Motiya Ri Batisi - Lyrics

Singer: Ravindra Upadhyay

मुखड़ा

एजी थारी मोत्यांरी बत्तीसी , थारी मोत्यारी बत्तीसी -४

ऐ जी थारी मोत्यारी बत्तीसी म्हारे मनङ में रम गई
काळज में जम गई , ज़िंदगी में करगी उजाळौ

ऐ जी थारी मोत्यारी बत्तीसी म्हारी सुध बुध खोई सा
अब काई होई म्हाने आपरो समझ के सम्भाळौ

... म्हाने आपरो समझ के सम्भाळौ

अंतरा १
हूर परी सी लागो थाने निजर कोई ना लागे सा
म्हारी सजनी म्हारी थाने कुण कोनी पिछाणे सा
लचक मचक के चालो तो हर कोइ भूल जा काम आपरो
आप सम्हळ के चालो नी पण थारो पल्लो भी तो सम्भाळौ

अंतरा २

मेह पाणी के दिनां में थारो जोबनियो जद भीजे सा
लोग रोवे तकदीरा ने
बांरो कालजियो सो सीजे सा
इन्दर देव धरती पर आवे भूल के इन्द्रलोक आपरो
मेवलिये रा दुखड़ा घणा थे थारे पगल्यां नै सम्भाळौ ....